हमारे राष्ट्रीय नायक

मोरोपंत पिंगळे

मोरेश्वर तथा मोरोपंत नीळकंठ पिंगळे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अग्रणी नेता थे, उन्हें मराठी में ‘हिन्दू जागरणाचा सरसेनानी (हिन्दू जनजागरण का सेनापति) की उपाधि से विभूषित किया जाता है। आपका जन्म सन 1919 के 30 दिसंबर को मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ। वे 1930 में संघ स्वयंसेवक बने और डॉ. हेडगेवारजी का सान्निध्य उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने नागपुर के मॉरिस कॉलेज से बी.ए. तक की शिक्षा पूर्ण करके 1941 में प्रचारक जीवन की शुरुआत की और विभाग से लेकर अखिल भारतीय स्तर पर हर तरह की जिम्मेदारी का निर्वहन किया।

श्री मोरोपंतजी ने बहुत सारे कार्यों को हाथ में लेकर पूर्णता तक पहुंचाया, परन्तु कुछ ऐसे विशेष कार्य है जिनका उल्लेख आवश्यक है।

छत्रपति शिवाजी महाराज की 300वीं पुण्यतिथि के अवसर पर महाराष्ट्र में रायगढ़ पर भव्य कार्यक्रम की योजना बनाई। आन्ध्र प्रदेश स्थित परमपूज्य डॉ. हेडगेवारजी के पैतृक गांव कन्दुकुर्ती में उनके परिवार के कुलदेवता के मंदिर को उन्होंने भव्य रूप दिया। नागपुर में स्मृतिमंदिर के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। किला पारडी (गुजरात) के पंडित सातवळेकरजी के स्वाध्याय मंडल के कार्य की पुनर्रचना उन्होंने की।

विश्व हिन्दू परिषद् के स्थापना में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा तथा उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के बीच समन्वयक की महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। महाराष्ट्र में वनवासी क्षेत्र में अलग अलग प्रकल्प जैसे ‘ठाणेका देवबांध प्रकल्प’, ‘कळवा स्थित कुष्ठरोग निर्मूलन प्रकल्प’ का प्रारंभ किया। महाराष्ट्र के सहकारी क्षेत्र में स्वयंसेवकों द्वारा संचालित बैंक की स्थापना में मोरोपंत का बड़ा योगदान रहा। व्यावसायिक क्षेत्र में लघु उद्योग भारती की स्थापना उन्होंने की। (more…)


राम नवमी की अनंत शुभ कामनाएं

राम नवमी की अनंत शुभ कामनाएं

🌹🌹मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रघुनाथ भगवान के जन्म उत्सव की आपको परिवार सहित अनंत शुभ कामनाएं।🌹🌹

🌹🌹प्रभू श्री राम और नवम दिवस की देवी मां सिद्धदात्री आपके हर संकट दूर कर सर्वसिद्धि प्रदान करें।🌹🌹

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बिजली बिल से पीड़ित एक आम नागरिक की व्यथा

स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के ऑफिस के बाहर राजू केले बेच रहा था।

बिजली विभाग के एक बड़े अधिकारी न पूछा : ” केले कैसे दिए” ?

राजू : केले किस लिए खरीद रहे हैं साहब ?

अधिकारी :- मतलब ??

राजू :- मतलब ये साहब कि,

मंदिर के प्रसाद के लिए ले रहे हैं तो 10 रुपए दर्जन।

वृद्धाश्रम में देने हों तो 15 रुपए दर्जन।

बच्चों के टिफिन में रखने हों तो 20 रुपए दर्जन।

घर में खाने के लिए ले जा रहे हों तो, 25 रुपए दर्जन

और अगर पिकनिक के लिए खरीद रहे हों तो 30 रुपए दर्जन।

अधिकारी : – ये क्या बेवकूफी है ? अरे भई, जब सारे केले एक जैसे ही हैं तो,भाव अलग अलग क्यों बता रहे हो ??

राजू : – ये तो पैसे वसूली का, आप ही का स्टाइल है साहब।

1 से 100 रीडिंग का रेट अलग,
100 से 200 का अलग,
200 से 300 का अलग।
अरे आपके बाप की बिजली है क्या ?

आप भी तो एक ही खंभे से बिजली देते हो।

तो फिर घर के लिए अलग रेट,
दूकान के लिए अलग रेट,
कारखाने के लिए अलग रेट,
फिर इंधन भार, विज आकार…..

और हाँ, एक बात और साहब,
मीटर का भाड़ा।
मीटर क्या अमेरिका से आयात किया है ? 25 सालों से उसका भाड़ा भर रहा हूँ। आखिर उसकी कीमत है कितनी ?? आप ये तो बता दो मुझे एक बार।

जागो ग्राहक जागो
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बिजली बिल से पीड़ित एक आम नागरिक की व्यथा !