ज़िन्दगी ख़त्म होने का नही
पड़ाव बदलने की है ज़रूरत…
एक राह का ठराव
कई उलझने बड़ा जाता है
सच तो ये है…
जिंदगी नही… पड़ाव बदलने
की है जरूरत…
ये थकने का नही वक्त
उठ कर हिम्मत दिखाने का है
द्रश्य तो तभी बदलेंगे
जब खुद में हो हिम्मत
जहां बदल डालने की
द्रश्य नहीं छुटते राह के कभी
उठ कर कदम बढ़ाने की है जरूरत…
ज़िन्दगी तब लगेगी सुहानी
जब रफ़्तार पकड़ेगी
मंजिले और भी है राह में
बस अपने ही कदमो की है जरूरत..
महक जाएँगी तुम्हारी भी सांसे
ज़रा नज़रे उठा कर तो देख
सारा आकाश ताक रहा है तुझे
बस एक तेरे हाथ उठाने की है जरूरत..
मंजिल खुद नही बदलेगी
बदलना खुद को ही पड़ेगा
बस एक तेरे कदम बढ़ाने की है जरूरत….!!!
*मेधा शर्मा*