ऐसा भी भला क्या है कि
तेरे पहलू में सिमट जाए हम
कि माना इश्क़ मे हैं हम
तो भला क्या मिट जाए हम
कर्ज और भी हैं जिंदगी के
कि नजरों मे गिर न जाए हम
हाल ऐ दिल क्या बताए भला
जिम्मेदारी से पिछे हट जाए हम
बड़े जतन किए तुझे पाने के
पर ये शिकस्त नही है मेरी
क्या पता इस बहाने संभल जाए हम……