समस्या के कारण जानने से मिलता है समाधान : महात्मा बुद्ध

समस्या के कारण जानने से मिलता है समाधान : महात्मा बुद्ध

एक दिन महात्मा बुद्ध जब प्रवचन हेतु पहुंचे तो उनके हाथ में एक रुमाल था| आसन पर बैठने के बाद उन्होंने रुमाल में थोड़ी-थोड़ी जगह छोड़कर पाँच गांठें लगा दी|
फिर बुद्ध ने शिष्यों से पूछा, ‘क्या यह वही रुमाल है जो गांठें लगने के समय के पहले था?’
एक विद्वान शिष्य ने कहा, ‘रुमाल तो वही है, क्योंकि इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है| दूसरी दृष्टि से देखें तो पहले इसमें पांच गांठें नहीं लगी थी, अतः रुमाल पहले जैसा नहीं रहा| जहां तक इसकी मूल प्रकृति का प्रश्न है, वह नहीं बदला है| इसका केवल बाहरी रूप बदला है, इसका पदार्थ और इसकी मात्रा वही है|’ (more…)


विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें

विद्वत्ता पर कभी घमण्ड न करें

कालिदास :- माते पानी पिला दीजिए बड़ा पुण्य होगा.
स्त्री बोली :- बेटा मैं तुम्हें जानती नहीं। अपना परिचय दो। मैं अवश्य पानी पिला दूंगी।
कालिदास ने कहा :- मैं पथिक हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम पथिक कैसे हो सकते हो, पथिक तो केवल दो ही हैं सूर्य व चन्द्रमा, जो कभी रुकते नहीं हमेशा चलते रहते। तुम इनमें से कौन हो सत्य बताओ।
कालिदास ने कहा :- मैं मेहमान हूँ, कृपया पानी पिला दें।
स्त्री बोली :- तुम मेहमान कैसे हो सकते हो ? संसार में दो ही मेहमान हैं।
पहला धन और दूसरा यौवन। इन्हें जाने में समय नहीं लगता। सत्य बताओ कौन हो तुम ? (more…)