झाँक रहे है इधर उधर सब अपने अंदर झांकें कौन ?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां अपने मन में ताके कौन ?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते खुद को आज सुधारे कौन ?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे खुद पर आज विचारे कौन ?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा यह सीधी बात स्वीकारे कौन?
जय श्रीराम