शून्य से भी परे है जो वो शिव है
कल्पना का स्वरुप ही शिव है
जड़ से चेतन हो जाना ही शिव है
ध्यान में मग्न होना ही तो शिव है
क्रोध का पहला स्वरुप ही शिव है
आनंद की अनुभूति होना ही शिव है
जल मे शिव वायु मे शिव धरा मे शिव
इस ब्रह्मांड के कण कण मे शिव है
शिव ही आरंभ शिव ही अंत है
शिव इक खोज है जो अनंत है
शिव ही सत्य है शिव ही अद्वितीय है
शिव इक ध्वनि और उसकी साधना है
शिव कभी न मिटने वाली अजर अमर आत्मा है
शिव ज्ञान है शिव ही तो भगवान है
शिव ही मेरा आराध्य है शिव ही मेरा भाग्य है
शिव ही मंगल शिव ही कल्याण है
शिव ही धर्म शिव ही संस्कृति का भान है
शिव ही तो वेद और पुराण है
शिव ही लौ है शिव ही गंगा का स्नान है
शिव ही बुद्धि शिव ही विवेक शिव ही क्रोध है
शिव ही आधार है बिन शिव न ये संसार है
शिव ही सत्य है बाकि सब मिथ्या है
शिव मे मै मुझमे शिव है शिव वो है जो अमिट है……..

#अंजान……