वक्त की धूप में झुलसे अरमां मेरे,
चाहत की एक धीमी सी फुहार आ जाये,
मेरी जिन्दगी में गर तुम आ जाओ,
तो पतझड़ में जैसे बहार आ जाये|
वक्त की धूप में झुलसे अरमां मेरे,
चाहत की एक धीमी सी फुहार आ जाये,
मेरी जिन्दगी में गर तुम आ जाओ,
तो पतझड़ में जैसे बहार आ जाये|