मशहूर अभिनेता मुकुल देव का 54 वर्ष की उम्र में निधन।
फिल्मों और टेलीविजन में अपने शानदार अभिनय के लिए पहचाने जाने वाले मुकुल देव के असामयिक निधन से फिल्म इंडस्ट्री और उनके प्रशंसक स्तब्ध हैं। उनका योगदान भारतीय सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा।
मुकुल देव का 23 मई 2025 को 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने हिंदी, पंजाबी, तेलुगु, बंगाली और मलयालम सिनेमा में अपना परचम लहराया।
प्रारंभिक जीवन और करियर की शुरुआत
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जन्म: 17 सितंबर 1970, नई दिल्ली
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शिक्षा: सेंट कोलंबा स्कूल, दिल्ली
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परिवार: पिता – हरि देव कौशल (दिल्ली पुलिस में सहायक आयुक्त), भाई – राहुल देव (अभिनेता)
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प्रारंभिक करियर: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी से प्रशिक्षित पायलट
मुकुल देव ने अपने करियर की शुरुआत एक पायलट के रूप में की, लेकिन अभिनय के प्रति उनके जुनून ने उन्हें मनोरंजन की दुनिया में खींच लिया। कक्षा 8 में, उन्होंने माइकल जैक्सन की नकल करके बहुत शाबासी पाई, जो उनके अभिनय करियर की नींव बना।
🎭 अभिनय करियर की झलक
📺 टेलीविजन में पदार्पण
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1996: टीवी सीरियल ‘मुमकिन’ में विजय पांडे की भूमिका से अभिनय की शुरुआत
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प्रमुख शो: ‘कहीं दिया जले कहीं जिया’, ‘कहानी घर घर की’, ‘प्यार जिंदगी है’
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होस्टिंग: ‘फियर फैक्टर इंडिया’ सीजन 1 के होस्ट
🎥 फिल्मी सफर
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1996: फिल्म ‘दस्तक’ से बॉलीवुड में पदार्पण, जिसमें उन्होंने एसीपी रोहित मल्होत्रा की भूमिका निभाई
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प्रमुख फिल्में:
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‘वजूद’ (1998)
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‘कोहराम’ (1999)
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‘यमला पगला दीवाना’ (2011)
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‘सन ऑफ सरदार’ (2012)
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‘आर… राजकुमार’ (2013)
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‘जय हो’ (2014)
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मुकुल देव ने 60 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और विभिन्न भाषाओं में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
👨👩👧 व्यक्तिगत जीवन
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पत्नी: शिल्पा देव (2005 में तलाक)
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बेटी: सिया देव
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भाई: राहुल देव (अभिनेता)
व्यक्तिगत जीवन में, मुकुल देव को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। तलाक और माता-पिता की मृत्यु ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया, जिससे वे सामाजिक रूप से अलग-थलग हो गए। लेकिन उन्होंने अपने आप को संभाल और मजबूत बनाया।
उन्हें ‘यमला पगला दीवाना’ में उत्कृष्ट अभिनय के लिए 7वां अमरीश पुरी पुरस्कार दिया गया।
🕯️ निधन और श्रद्धांजलि
23 मई 2025 को नई दिल्ली में मुकुल देव का निधन हो गया। उनकी सह-अभिनेत्री मून बनर्जी ने उन्हें एक “down-to-earth” और “truly chilled-out” व्यक्ति बताया। उनकी मृत्यु से फिल्म उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई।
मुकुल देव की कहानी हमें यह सिखाती है कि जुनून और समर्पण से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और अभिनय के प्रति समर्पण उन्हें हमेशा यादगार बनाए रखेगा।