हर कर्ज दोस्ती का कौन करेगा,
जब हम ही न रहेंगे तो वफ़ा कौन करेगा,
ऐ खुदा मेरी जान को सलामत रखना,
वरना मेरा फ़ोन रिसीव कौन करेगा|
हर कर्ज दोस्ती का कौन करेगा,
जब हम ही न रहेंगे तो वफ़ा कौन करेगा,
ऐ खुदा मेरी जान को सलामत रखना,
वरना मेरा फ़ोन रिसीव कौन करेगा|