जन्नत से कम नहीं – Jannat Se Kam Nhi

जन्नत से कम नहीं – Jannat Se Kam Nhi
जन्नत से कम नहीं – Jannat Se Kam Nhi
तुझे पाऊँ तो किसी मन्नत से कम नहीं
💗
तुझे महसूस करूँ वो जन्नत से कम नहीं..❤️

तुम अगर साथ रहो आकर
हमनशीं💏  की तरह…!!
ज़िन्दगी लगने लगे फिर
🌹 तो ज़िन्दगी की तरह…!!!!

इस क़दर शोख़ निगाहों से न देखो मुझ को
ग़ैरत-ए-हुस्न पे इल्ज़ाम न आ जाए कहीं

\

मोहब्बत के इक़रार से शर्म कब तक
कभी सामना हो तो मजबूर कर दूँ…


तुम्हें पाने की चाहत तो सब करते है मगर!
तुम तलाश उसकी करो जो तुम्हें खोने से डरे!!


Everyone wants to get you but!
You seek the one who is afraid of losing you!!

 


दिल की बात 2 – Jyoti Rakesh

  • मुस्कुरा कर मिला करो हमसे,
    कुछ कहा और सुना करो हमसे..

बात करने से बात बढ़ती है,
रोज़ बातें किया करो हमसे..


kya chahe rab se, tumhe pane ke baad,kisaka kare intizaar ,Tere aane ke baad, kyo mohbbat me jaan loota dete hai,Log, Maine bhi ye jana ishq karne ke baad.


karu tera jikar ya ehsaas me rahne du ,Karu tujhe mehsus ya dhadkano m rahne du, Tujhe lfjo m byan karu ,ya ibadat me rahne doo .


Raat gum sum hai magr chand khamosh nahi,

kaise kah de Aapko mujhe hosh nhi,

Aise dube hai Aapki ankho ki gahrayi me hum,

Hath me jam hai, Magr pine ka hosh nahi.


जैसी है तेरी ख्वाइश वैसे प्यार करेंगे,
हर धड़कन पर अपनी वफ़ा का इक़रार करेंगे,
जहाँ भी जाओगे हर कदम हममे ही पाओगे,
इश्क़ के हर मोड़ पर तेरा इंतज़ार करेंगे।


हाथ कि लकीरों पर ऐतबार कर लेना,
भरोसा हो तो किसी से प्यार कर लेना,
खोना पाना तो नसीबों का खेल है,
ख़ुशी मिलेगी बस थोड़ा इंतज़ार कर लेना।



तब पता लगेगा कि क्या होती है तन्हाई

जुदा हो के देखो कि क्या होती है जुदाई,

प्यार करके देखो कि क्या होती है बेवफाई,

कभी अकेले होकर महसूस कीजिये ए चाँद,

तब पता लगेगा कि क्या होती है तन्हाई |


Sad Shayari

वह दिन, दिन नहीं, वह रात, रात नहीं,

वह पल, पल नहीं, जिसमें आपकी याद नहीं,

हमें कोई आपसे जुदा कर सके,

मौत की भी इतनी औकात नहीं|

 

फूल सूख जाते हैं, एक वक्त के बाद,

लोग बदल जाते हैं, एक वक्त के बाद,

अपनी भी दोस्ती टूटेगी, एक वक्त के बाद,

पर वो वक्त होगा, मेरी मौत के बाद |

 

तुम्हारी जुल्फों के साये में ना जाने कब शाम हो गयी,

तुमसे जो जुदा हुए तो ये शाम वीरान हो गयी |

 

अपनी बेबसी पे हम ढेरों आँसूं बहाते हैं,

तेरे साथ गुजारे लम्हें जब याद आते हैं |

 

जब याद तुम्हारी आती है, तब दर्द जिगर में होता है,

जब सारी दुनिया सोती है, तब हर रोज रात को रोता हूँ |


मैं दीवाना तो नहीं…

मैं एक दीवाना तो नहीं, तेरी इन आँखों ने दीवाना बना दिया,

मैं जीता तो नहीं, तेरी इन सांसों ने जीना सिखा दिया|

गम तो इसका भी नहीं कि तू मेरी हो न सकी,

गम तो इस बात का है कि तूने मोहब्बत से भरोसा ही उठा दिया|

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2021 Sad Shayari

मेरा गम तेरी जज्बात से बेहतर होगा,

मेरा दिन तेरी हर रात से बेहतर होगा|

यकीन न आये तो डोली से झांककर देख लेना,

मेरा जनाजा भी तेरी बारात से बेहतर होगा|

 

कभी कभी दिल उदास होता है,

हल्का – सा आँखों में एहसास होता है,

छलकते हैं मेरी आँखों से आँसूं,

जब तुम्हारे दूर होने का एहसास होता है|

 

न तस्वीर है तुम्हारी जो दीदार किया जाये,

न तुम पास हो जो प्यार किया जाये,

यह कौन सा दर्द दिया है आपने,

न कुछ कहा जाये न तुम बिन रहा जाये|

 

तुम्हारी जुदाई सह न सकेंगे,

हाल – ए – दिल कह न सकेंगे,

जानते हैं की यह मिलन नहीं संभव,

लेकिन तेरे बिन रह न सकेंगे|

पलकों से अश्क मेरे रुकते नहीं हैं,

लोग मेरा गम समझते नहीं हैं|

 

उम्र भर साथ तुम्हारा भूल न पाएंगे,

प्यार करेंगे इतना की याद तुम्हें भी आयेंगे,

मरकर छोड़ देता है, जिस्म यह दुनिया,

हम वह आशिक हैं, जो मरकर भी साथ निभाएंगे|

 

चले भी आओ, हम तुम्हीं से प्यार करते हैं,

यह वह गुनाह हैं, जो हम बार बार करते हैं,

जलाकर इस दिल को मोहब्बत में,

तुम्हारे आने का इंतजार करते हैं|


उदासी भरे दिन

कहाँ तक ये मन को अँधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन, कभी तो ढलेंगे
कभी सुख, कभी दुःख, यही ज़िन्दगी है
ये पतझड़ का मौसम, घड़ी दो घड़ी है
नए फूल कल फिर डगर में खिलेंगे
उदासी भरे दिन…
भले तेज़ कितना हवा का हो झोंका
मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा
जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे…


रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं

रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं,
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं,
ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज,
हाथ में जाम हैं, मगर  पीनेे होश नहीं|


तिरस्कार या मजबूरी #COVID-19

#तिरस्कार या मजबूरी -क्या हम आदमी कहलाने लायक हैं।
गोपाल किशन जी एक सेवानिवृत अध्यापक हैं । सुबह दस बजे तक ये एकदम स्वस्थ प्रतीत हो रहे थे । शाम के सात बजते-बजते तेज बुखार के साथ-साथ वे सारे लक्षण दिखायी देने लगे जो एक कोरोना पॉजीटिव मरीज के अंदर दिखाई देते हैं ।
परिवार के सदस्यों के चेहरों पर खौफ़ साफ़ दिखाई पड़ रहा था । उनकी चारपाई घर के एक पुराने बड़े से बाहरी कमरे में डाल दी गयी जिसमें इनके पालतू कुत्ते मार्शल का बसेरा है । गोपाल किशन जी कुछ साल पहले एक छोटा सा घायल पिल्ला सड़क से उठाकर लाये थे और अपने बच्चे की तरह पालकर इसको नाम दिया मार्शल ।
इस कमरे में अब गोपाल किशन जी , उनकी चारपाई और उनका प्यारा मार्शल हैं ।दोनों बेटों -बहुओं ने दूरी बना ली और बच्चों को भी पास ना जानें के निर्देश दे दिए गये ।
सरकार द्वारा जारी किये गये नंबर पर फोन करके सूचना दे दी गयी । खबर मुहल्ले भर में फैल चुकी थी लेकिन मिलने कोई नहीं आया । साड़ी के पल्ले से मुँह लपेटे हुए, हाथ में छड़ी लिये पड़ोस की कोई एक बूढी अम्मा आई और गोपाल किशन जी की पत्नी से बोली -“अरे कोई इसके पास दूर से खाना भी सरका दो , वे अस्पताल वाले तो इसे भूखे को ही ले जाएँगे उठा के” ।
अब प्रश्न ये था कि उनको खाना देनें के लिये कौन जाए । बहुओं ने खाना अपनी सास को पकड़ा दिया अब गोपाल किशन जी की पत्नी के हाथ , थाली पकड़ते ही काँपने लगे , पैर मानो खूँटे से बाँध दिये गए हों ।
इतना देखकर वह पड़ोसन बूढ़ी अम्मा बोली “अरी तेरा तो पति है तू भी ……..। मुँह बाँध के चली जा और दूर से थाली सरका दे वो अपने आप उठाकर खा लेगा” । सारा वार्तालाप गोपाल किशन जी चुपचाप सुन रहे थे , उनकी आँखें नम थी और काँपते होठों से उन्होंने कहा कि “कोई मेरे पास ना आये तो बेहतर है , मुझे भूख भी नहीं है” ।
इसी बीच एम्बुलेंस आ जाती है और गोपाल किशन जी को एम्बुलेंस में बैठने के लिये बोला जाता है । गोपाल किशन जी घर के दरवाजे पर आकर एक बार पलटकर अपने घर की तरफ देखते हैं । पोती -पोते First floor की खिड़की से मास्क लगाए दादा को निहारते हुए और उन बच्चों के पीछे सर पर पल्लू रखे उनकी दोनों बहुएँ दिखाई पड़ती हैं । Ground floor पर, दोनों बेटे काफी दूर, अपनी माँ के साथ खड़े थे ।
विचारों का तूफान गोपाल किशन जी के अंदर उमड़ रहा था । उनकी पोती ने उनकी तरफ हाथ हिलाते हुए Bye कहा । एक क्षण को उन्हें लगा कि ‘जिंदगी ने अलविदा कह दिया’
गोपाल किशन जी की आँखें लबलबा उठी । उन्होंने बैठकर अपने घर की देहरी को चूमा और एम्बुलेंस में जाकर बैठ गये ।
उनकी पत्नी ने तुरंत पानी से भरी बाल्टी घर की उस देहरी पर उलेड दी जिसको गोपाल किशन चूमकर एम्बुलेंस में बैठे थे ।
इसे तिरस्कार कहो या मजबूरी , लेकिन ये दृश्य देखकर कुत्ता भी रो पड़ा और उसी एम्बुलेंस के पीछे – पीछे हो लिया जो गोपाल किशन जी को अस्पताल लेकर जा रही थी ।
गोपाल किशन जी अस्पताल में 14 दिनों के अब्ज़र्वेशन पीरियड में रहे । उनकी सभी जाँच सामान्य थी । उन्हें पूर्णतः स्वस्थ घोषित करके छुट्टी दे दी गयी । जब वह अस्पताल से बाहर निकले तो उनको अस्पताल के गेट पर उनका कुत्ता मार्शल बैठा दिखाई दिया । दोनों एक दूसरे से लिपट गये । एक की आँखों से गंगा तो एक की आँखों से यमुना बहे जा रही थी ।
जब तक उनके बेटों की लम्बी गाड़ी उन्हें लेने पहुँचती तब तक वो अपने कुत्ते को लेकर किसी दूसरी दिशा की ओर निकल चुके थे ।
उसके बाद वो कभी दिखाई नहीं दिये । आज उनके फोटो के साथ उनकी गुमशुदगी की खबर छपी है अखबार में लिखा है कि सूचना देने वाले को 40 हजार का ईनाम दिया जायेगा ।
40 हजार – हाँ पढ़कर ध्यान आया कि इतनी ही तो मासिक पेंशन आती थी उनकी जिसको वो परिवार के ऊपर हँसते गाते उड़ा दिया करते थे ।

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