बुखार का पहला दिन: ये बुखार है, ठीक हो जायेगा, मुझे कोविड तो हो ही नहीं सकता, क्योंकि यह बीमारी ही नहीं होती है।
बुखार का दूसरा दिन: हर बुखार कोविड थोड़े होता है, लेकिन फिर भी पैरासिटामोल खा लेता हूँ।
बुखार का तीसरा दिन: RT-PCR टेस्ट करवा के क्या होगा, सीधे CT Scan करवा लेता हूँ। (सिर्फ 2-3 दिन में CT स्कैन में कुछ खास नहीं आयेगा, तो कोविड इडियट कहेगा कि कोरोना नहीं है)
बुखार का चौथा दिन: ये बुखार तो पीछे ही पड़ गया, चलो ब्लड टेस्ट करवा लेते हैं। डॉक्टर को पैसे क्यों देना है, वो भी तो यही सब टेस्ट करवायेगा। (टेस्ट में टाईफाइड फाल्स पॉजिटिव आयेगा, क्योंकि वह क्रॉस-रिएक्टिव है)
बुखार का पांचवा दिन: मैंने पहले ही कहा था कि यह टाईफाइड है, अब डॉक्टर को ₹300 क्या देना है, कुछ एंटीबायोटिक खरीद के खा लेते हैं।
बुखार का छठा दिन: अभी, कल ही तो एंटीबायोटिक शुरू किया है, थोड़ा समय तो लगेगा।
बुखार का सातवां दिन: ये बुखार तो पिछे ही पड़ गया। एक फ्रेंड डॉक्टर है, उस से पूछते हैं। कुछ देर बाद… ये डॉक्टर सब का लैब में कमीशन होता है, देखो PCR Test के लिए बोल रहा है। उसके रिपोर्ट में भी 1-2 दिन लगेगा।
बुखार का आठवां दिन: अरे, मुझे सांस लेने में दिक्कत क्यों हो रही है? कोई अस्पताल ले चलो। (लेकिन कोविड रिपोर्ट नहीं है).
बुखार का नौवां दिन: ऑक्सीजन लेवल 90% से निचे जा रहा है, लेकिन कहीं बेड नहीं मिल रहा है। ये सरकार एकदम बेकार है।
बुखार का दसवां दिन: ऑक्सीजन लेवल 80% से निचे है, बहुत मुश्किल से एक बेड मिला है। लेकिन राहत नहीं है, ये अस्पताल एकदम बेकार है।
बुखार का ग्यारहवां दिन: वेंटिलेटर पर गये, अब परिवार वाले डॉक्टरों को दोष दे रहे हैं।
बुखार का बारहवां दिन: संक्रमण इतना बढ़ गया कि मरीज की मौत हो चुकी है, बाकी के लोग डॉक्टरों से लड़ रहे हैं।आप लोगों को कुछ नहीं आता, दो हफ्ते पहले स्वस्थ आदमी का जान ले लिया। (अस्पतालों की स्थिति भी अच्छी नहीं है, बेड की लिए इतनी मारामारी है कि वहाँ भी लापरवाही हो रही हैं)
इसी बीच, कुछ और लोग, इसी तरह की गलती करने में लगे हुये हैं।
कृप्या अपनी तरफ से लापरवाही न करें।
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